*सांस का जादू* - आर.डी. अग्रवाल 'प्रेमी'


     




*सांस का जादू* 

सांसो से है जीवन।
 सांस बिना जीवन का अस्तित्व नहीं।
सांस का कोई पर्याय नहीं।
सांस की साधना से मिलता है परमसुख।
 सांस की साधना को ही 'विपश्यना' कहा भगवान बुद्ध ने।
सांस से प्रेम करना सीखो।
 सांस के सरगम में है मधुर संगीत।
 सांस के इस संगीत को सुनो।
   सांस के साथ होने से जीवन प्रफुल्लित रहता है।
 सांस का कोई धर्म नहीं।
 सांस किसी परिस्थिति का मोहताज नहीं ।
सांस सृष्टि रचयिता का है 'आशीर्वाद'।
 सांस एक 'स्पंदन' है,जो सारे प्राणियों को 'चैतन्य' रखता है।
 सांस में 'लीन' होना सरल, सहज सुगम है।
 सांस की साधना मोक्ष दायक है।
 सांस की साधना से जीते जी 'स्वर्ग' में रहना सीख जायेंगे।
'सांस से प्रेम करने की कला' प्रेम रावत जी सिखाते हैं।
'सांस का जादू' विलक्षण व आनंद दायक है।

- आर.डी. अग्रवाल 'प्रेमी' 
खेतवाड़ी,मुंबई।

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