क्या हम सच मे आजाद हुए है - आनंदश्री
कैसे मनाए सच्ची आजादी पर्व एक इंसान को बाजार में लाल टोपी पसंद आयी। उसने खरीद ली। उसे इतनी भायी की उस टोपी को वह हर दम लेकर घूमने लगा। वह लाल टोपी उसकी लाल बन गयी थी। जब वह लाल टोपी उसके साथ न होता तो वह असहज महसूस करता। मानो वह बाजार से खरीदी हुई टोपी उसका अंग बन गयी। लोग परेशान, घर वाले परेशान यँहा तक कि वह स्वयम भी उस लाल टोपी से कभी कभी परेशान हो जाता था। लेकिन वह व्यक्ति उसका आदि हो गया था। उसे समझ में आने लगा । कुछ तो हो रहा है। वह धीरे धीरे उस टोपी का गुलाम बन रहा था। - क्या आप भी किसी के गुलाम हो ? वह इंसान पर हम हँस रहे है। लेकिन यह कहानी हमारी है। हमारी आजादी, गुलाम और फिर से नई आजादी की कहानी है। अंग्रेजो से हम भारतीय आजाद हुए। 15 अगस्त को हम आजादी पर्व मनाएंगे। लेकिन मन और विचार गुलाम है तो आजादी को सच मे आजाद हो कर मनाना पड़ेगा। अपने आप का मंथन कीजिये। भारत छोड़ो आंदोलन की तरह, गलत मान्यताओं, गलत विश्वास, गलत लत, गलत लाल टोपी जैसे हानिकारक आदतों के " चले जाओ " कहने का समय अब आ गया है। आप किसके गुलाम तो नही हो रहे है ना। पहले इंसान आदतों को जाने अनजाने में बनाता है। फिर आदतों द्वारा उसका निर्माण शुरू हो जाता है। आदत उसे बनाने लगती है। आदत इंसान पर इतना हावी हो जाता है कि वह आदतों को गुलाम बन जाता है। आदत अच्छी है तो वह सफल बनाता है लेकिन आदत गलत है, बुरी है, हानिकारक है या नुकसान देह है तो फिर इंसान का पतन निश्चित है। -15 अगस्त को सचमुच में स्वतंत्रता दिवस मनाओ, सचमुच में आजाद हो जाओ आजादी पर्व एक रिमाइंडर है। अपने आप को जानो। अपनी आजादी को जानो। विकार रूपी विदेशी को जानो जिन्होंने अनजाने में नही जानबूझ कर आपके बेहोशी मन का फायदा उठाया। आपके मन को कब्जा कर बैठे है। साक्षी में आ जाओ। जाग्रत हो जाओ। क्रांति तभी होगी जब जागरूकता आएगी। जंहा जागरूकता नही वंहा बेहोशी है। जंहा बेहोशी है वहां गुलाम बनना आसान है। -आजादी का मतलब ही है जागरूकता जागो भारत जागो। यह जागने का समय है। अपनी मंजिल पर आप बेहोशी में नही पंहुच सकते। बेहोशी में एक्सीडेंट है। बेहोशी में दूख है। जाग जाइये। जागरूकता का अभ्यास लीजिये। अपनी सोच, मान्यता, भावना के प्रति जागिये। आप कौनसे सिचुएशन में क्या सोचते हो। किसे दर्द होता है, कौनसे शब्द आपको चुभते है, कौनसे शब्द आराम देते है। अपने प्रति जाग जाओ। - स्वतंत्रता दिवस बहुत मनाए इस बार सचमुच में आजादी के साथ आजाद होकर स्वतंत्रता मानाएँगे। क्रांतिकारियों को, शहीदों को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनके द्वारा किये गए आंदोलन के उधार को हम " गुलामी के विचार " से मुक्त हो कर ही चुका पाएंगे। - प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री आध्यात्मिक व्यख्याता एवं माइन्डसेट गुरु मुम्बई 8007179747 |